कैसे कहें अलविदा ये नयन रो पड़ेंगे

आज नभ में तारे भी कम चमकेंगे
घटा घनघोर भी हटे न हटेंगे ,
साथ थे जो हमारे सालों से आज तक
लग रहा है वो भी छोड़कर चल चलेंगे ,

दिया साथ आपने अजनबी इस शहर में,
आज फिर से हमें अजनबी कर चलेंगे ,
यादों की घड़ियाँ लिए साथ अपने
उन पेड़ो की छावं में फिर हम मिलेंगे,
बिताई है हमने जो चंद घड़ियाँ सुहानी,
हॉस्टल की छत और गार्डेन की कहानी,

इस शहर की सड़के भी तन्हा रहेगी
तन्हा रहेगी और हमसे कहेगी ,
"रोक लो इन सितारों को जाने को है,
जिनकी मंजिल गगन को सजाने में है"

आपको रोकें या हम खुद को संभालें
लगता है यहाँ हम सभी रो पड़ेंगे,
गगन रो पड़ेंगे चमन रो पड़ेंगे
कैसे कहें अलविदा ये नयन रो पड़ेंगे ..!!!


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