चाहत



जहाँ मिले थे वो एक दिन यूँ अचानक
वहीँ फिर से मिलने को जी चाहता है,
उनसे हो गयी है मुहब्बत
खबर ये पहुँचाने को जी चाहता है ,
वो तो गुमसुम से खड़े रहते हैं
हमें अपनी सुनाने को जी चाहता है ,
मैं तो ज़माने से डरता नहीं हूँ
नज़रें मिलाने को जी चाहता है ,
मेरे दिल को जो तू न समझा ;
खुद को मिटने को जी चाहता है !!

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